किस बात का गुमान है
किस बात का गुमान है।
हां! तुम्हे किस बात का गुमान है।
क्या बोलने खातिर तेरे मुंह में जुवान है !
तेरी तरह हमने अपनी किताबों का हिसाब नहीं लगाया
दिमाग खाली था पर नकारात्मकता का नकाब नही लगाया
तेरी तरह हम किताबो का हिजाब पहनकर किसी झुठी शान को भाव नही देते हैं।
लड़के है हम अपनी निगाहो मे अपनो को तो क्या गैरो भी सम्मान देते है।
जिम्मेदारी का बोझ हम पर बचपन से सवार होता है
तेरी जैसी सोच हम पर, सीधी-साधी सुरत, ग्वार होती है
थोड़ी सी क्या भर ली तुमने लम्बी उड़ान
भूल जाती है क्यो तेरे सामने खड़ा विकराल. तुफान
तेरी तरह हम एक कोने में बैठ अपना दुखडा, गाते नही
समस्याओ से रख गहरा नाता उसी से नया मुखड़ा बनाते कही
बहकते नही हम अपनी जिम्मेदारी से
पर हमारे कंधे पर रख बन्दुक तुमने हमें अपनो की नजर में गैर जिम्मेदार बनाया
फिर भी तेरी तरह हमें किसी बात का गुमान नही
.सीधे साधे है मां-बाप संग परिवार की जबान रही
हम तो एकांकी है अपने चिन्तन खातिर
पर तुम मुझ तने को उस वृक्ष से जुदा करती बन शातिर
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फिर तुम्हे किस बात का गुमान है।
परिवार की जाजम से बेदखल जिसका तुम हो. अन्जाम
तेरे प्रेम प्रांगण में सम्भला तेरे मतलबी मानस था निजाम
फिर तुम्हे किस बात का गुमान है।
सल्तनत मेरी तेरे हाथ ना लगेगी
आत्मविश्वास से विश्वास पात्र स्वामी भक्त की पुकार लगेगी ।
फिर तुझे किस बात का गुमान है
मेरी बदोलत तुम ऐशो आराम में रहती हो
चन्द विश्वास घाती की टोली बनाकर क्यों खुद को निजाम कहती हो
फिर तुझे किस बात का गुमान है
हमारे अलावा तुम्हे चाहने वाले कही मिल जाऐगे
जवानी तेरी वो ढलती काया है, चन्द दिन में तेरी उम्मीद बिखर जाएगी
फिर तुझे किस बात का गुमान है