– किस्सा –
– किस्सा –
किस्सा उसका मुझसे मिलने का,
अधूरा रह गया,
ख्वाब था जिसे होना था पूरा वो अधूरा रह गया,
वो थी सरोज सी मेरा जीवन था कंटक भरा,
वो मुझे पाने के लिए लालायित थी,
में था मजबूर उसे छोड़ने को,
थी मेरी मजबूरी मेरे हालत विपरीत थे,
थी ऐसी ही कोई विडंबना की ,
हम दोनो अलग थे,
अब तो भरत करता है अब ईश्वर से,
अगले जन्म में प्रभु रखना उसको तू सदा गहलोत के साथ,
किस्सा था तेरा भरत यह अधूरा जो कहानी न कभी बन सका,
गहलोत अगर ईश्वर ने चाहा अगले जन्म में कर दे वे इसे पूरा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान