किस्सा / सांग – # चापसिंह – सोमवती # अनुक्रमांक – 31 # & टेक – बादशाह आलम, जहांपना मुगलेआज़म, मुजरा करूंगी सलावालेकम मेरी दुहाई, सुणो पनाह इलाही, नृत करने आई मै चाहती हुकम।
किस्सा / सांग – # चापसिंह – सोमवती # अनुक्रमांक – 31 #
वार्ता:-
सज्जनों! सोमवती के नाचने गाने पर सब सभा खुश हो जाती है और बादशाह कहता है कि तुम आज कुछ भी इनाम मांग लो। सोमवती कहती है कि मुझे कुछ इनाम की जगह कुछ और चाहिए। वह कहती है कि आपकी सभी मे मेरा एक चोर है मुझे मेरा चोर चाहिए वो चोर कोई और नहीं शेरखा पठान है और फिर सोमवती शाहजहाँ से क्या दुहाई करती है।
जवाब:- सोमवती का शाहजहाँ से । रागणी:- 31 – बहरे-तबील
बादशाह आलम, जहांपना मुगलेआज़म, मुजरा करूंगी सलावालेकम
मेरी दुहाई, सुणो पनाह इलाही, नृत करने आई मै चाहती हुकम। । टेक।
परेशानी मेरी, दुख की कहानी मेरी, जिन्दगानी मेरी मै आया भुकम,
शेरखांन है, पापी इंसान है, बेईमान है उसने किया जुलम।।
देता है गाली, मनै कहता चडांली, बोल्या बण घरआली ना करूंगा ख़तम
धन लुटया मेरा, दिल टूटया मेरा, घर छुट्या मेरा रूस्या बलम।।
रहीं सत पै डटी, फेर भी घटना घटी, ना महलम पट्टी इसा बोल का जख्म,
विनती करू, के जीवती फिरू, टककर मार मरू इसनै गुजारे स्तम।।
मै गरीब लुगाई, जोड़ी थी पाई-2, मेरी सारी कमाई करग्या हजम,
राजेराम गवाह, होगा दरगाह मै न्या, बोलूंगी झूठ ना खुदा की कसम।।