किस्सा / सांग – गंगामाई # अनुक्रमांक – 9 # टेक -वेद पुराण शास्त्र कहते गऊ परम का सार गऊ माता सै तारण आली भवसागर तै पार || #
किस्सा / सांग – गंगामाई # अनुक्रमांक – 9 # गौ माता का सार #
वेद पुराण शास्त्र कहते गऊ परम का सार
गऊ माता सै तारण आली भवसागर तै पार || टेक ||
सिर कै ऊपर सुरगलोक देवत्या का बास कहै सै
आंख्या मै भी सूर्य चाँद करके प्रकाश कहै सै
सिंगा ऊपर अश्नीकुमार खड़े बारा मास कहै सै
गौ लोक बताया घेटी मै थुई कैलाश कहै सै
पेट कहै उड़ै परमलोक रच्या ब्रह्मा नै संसार ||
कैलाश पै शेष गणेश शारदा भोला पार्वती सै
बीच मै बैकुण्ठ धाम विष्णु जी लछमी नार सती सै
सप्तऋषि 9 ग्रह देवता 10 दिगपाल जती सै
पीठ गोवर्धन पर्वत जमना गंगा सरस्वती सै
चक्षु भद्रा सीता नंदा धार दूध की चार ||
4 चरण 4 दिशा बताई बीच मै या धरणी सै
28 नर्क पैताल सात समुन्द्र वैतरणी सै
दान पुन्न यज्ञ हवन गायत्री संकट नै हरणी सै
सप्त पुरुषो की नाव भंवर तै गऊ पार करणी सै
ॐ भूर्भवः सतलोक जप तप के खुलै द्वार ||
वशिष्ठ मुनि की गऊ नंदिनी लेगे वसु चुराके
श्राप दिया न्यू पांडा छुटै मृतलोक मै जाके
पर्थु आगै पृथ्वी चाली गऊ का रूप बणाके
ब्रह्मा बोले तेरा भार उतारै खुद विष्णु जी आके
राजेराम कहै गऊ चरावै बणके कृष्ण मुरार ||
अर्थात –
• गाय के दोनो सींगों में ब्रह्मा और विष्णु ।
• विश्व की सारी जलों के स्त्रोत का स्थान सींग के जुड़ाव पर स्थित है।
• सिर पर भोले शंकर का स्थान है।
• सिर के किनारे पर माता पार्वती जी है।
• नासिका पर कार्तिकेय, दोनों नासिकाओं के छिद्र पर कम्बाला और अश्वतारा हैं।
• दोनों कानों पर अश्विनी कुमार
• सूर्य और चंद्रमा का स्थान दोनों आँखों में है
• वायु देव का स्थान दाँतों की पंक्तियों में तथा और वरुण देव जीभ पर निवास करते हैं।
• गाय की आवाज में साक्षात् सरस्वती का वास है ।
• संध्या देवी होंठों पर और भगवान इंद्र गर्दन पर विराजमान हैं।
• रक्षा गणों का स्थान गर्दन के नीचे की पसलियों पर है।
• दिल में साध्य देवों का स्थान है।
• जांघ पर धर्म देव का ।
• गंधर्व खुर के बीच के स्थान में,पन्नगा खुर के कोने पर, अप्सराएं पक्षों पर
• ग्यारह रुद्र और यम पीठ पर, अष्टवसु पीठ की धारियों में
• पितृ देवता नाल के संयुक्त क्षेत्र में तथा 12 आदित्य पेट पर
• पूंछ पर सोमा देवी, बालों पर सूरज की किरणें, मूत्र में गंगा, गोबर में लक्ष्मी और यमुना, दूध में सरस्वती, दही में नर्मदा, और घी में अग्नि का वास है।
• गाय के बालों में 33 करोड़ देवताओं का निवास है।
• पेट में पृथ्वी, थन में सारे महासागरों
• तीनों गुण भौंह के जड़ों में, बाल के छिद्रों में ऋषियों का निवास, साँसों में सभी पवित्र झीलों का वास है।
• होठों पर चंडिका और प्रजापति ब्रह्मा त्वचा पर हैं।
• वेदों के छह भागों का स्थान मुखड़े पर, चारों पैरों में चार वेद हैं। कुबेर और गरुड़ दाहिने ओर,यक्ष बाईं ओर और गंधर्व अंदर की ओर स्थित हैं।
• पैर के सामने में खेचरास, आंतों में नारायण, हड्डियों में पर्वत, अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों पैरों में अवस्थित हैं।
• गाय के हूँकार में चारों वेदों कि ध्वनि है।