Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2019 · 4 min read

किस्सा द्रौपदी स्वयंवर अनुक्रंमाक–08

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा द्रौपदी स्वयंवर

अनुक्रंमाक–08

वार्ता–जब साधू भेष में अर्जुन और भीम सभा में बैठ जाते हैं तो भीम दुर्योधन की तरफ घूर घूर कर देखता है तो दुर्योधन मामा शकुनि को कहता है कि ये दोनों मुझे अर्जुन भीम लग रहे हैं।।।

दोहा–फर्क नहीं सै बात मै,ये दोनों दुश्मन आ गया।
बाबा जी नै देखकैं जी मेरा घबरा गया।।

टेक–सन्मुख बैठ्या मनै पीसता जाड़ दिखाई दे,
सपने मै भी बाबाजी की ताड़ दिखाई दे।

१-युद्ध जब लंका मैं छिड़ग्या था,
उड़ै रीछ अौर बंदर भिड़ग्या था,
जो रवि अगाड़ी अड़ग्या था,उस्या पहाड़ दिखाई दे।

२-सुख पावै जो पहल्यां भाजैगा,
आग तैं सबका तन दाजैगा,
थारा खङ्या खूँड बाजैगा,ईस्या जुगाड़ दिखाई दे।

३-फेर पाछै पछताओगे,
घर भी नहीं जाण पाओगे,
किसकी बन्दड़ी ब्याहोगे,होती राड़ दिखाई दे।

४-केशोराम अगम का ख्याल,
छंद कथै कुंदनलाल तत्काल,
नंदलाल कहै कौरवों नै,यम की दहाड़ दिखाई दे।

दौड़–

मामा कर चालण का सामा, जामा पजामा, परै बगा,
महिपाल के कहूँ हाल होगे कमाल कुछ कही न जा,
के बूझै मेरी काया धूजै सूझै मनै नयन तै ना,

दुर्योधन जब कहण लग्या के फिरी राम की माया मामा,
आज से पहले दुनियां मै ना मरया होया फेर आया मामा,
यो दुश्मन आग्या कहाँ से बिन आग जळै सै काया मामा,

मेरी समझ मै भीम अर्जुन कोन्या फर्क बात के म्हां,
मेरै कानी नीचै नीचै जाड़ भीच कैं करै निंगाह,
मारैगा मनै मारैगा इसमै फर्क पड़ै कोन्या,

बाबाजी नै देख देख मेरा कळेजा धड़कै सै,
खैर होण नै जगां नहीं मेरा बाँया नेत्र फड़कै सै,
लठ आळा बाबा दिखै जणु कुणक आँख मै रड़कै सै,

सोच फिकर सस्पंज रंज मै जल पर फिरगी काई सी,
मैं छोटा सा चूहा सूं मनै दिखै खड़ी बिलाई सी,
लठ आळे नै देख देख चढ़गी मेरै निवाई सी,

दुर्योधन की सुणकैं वाणी कानी देखै करी निंगाह,
शकुनि बोल्या अरै भाण्जा थोड़ी सी मै घणी जाण ज्या,
इन बातां मै आण काण जा ऐसा जिक्र चला मतन्या,

वे आवण नै कड़ै धरे सैं अपणे हाथां दिए जला,
पाँचवों की भश्म उठाके गंगा जी मैं दई बहा,
गया बीच मै पीण्ड भरवाये फिर भी तेरै तसल्ली ना,
मनुष्यों सरीखे मनुष्य भतेरे देखो न दुनियां के म्हां,

के होग्या हुणीयारा मिलग्या क्युँ इतणा रह्या घबरा,
ये राजा लोग न्यूं जाणै सैं आपस मै रहे जिक्र चला,
कौरव पैज करैंगें पूरी लड़की नै लेंगें प्रणा,
तनै अपणी जात काढ़ कैं सबसे पहले दई दिखा,
धीर धौप देकर कैं नै दुर्योधन तो दिया बैठा,

श्री कृष्ण खड़या होया जब सब राजों नै कह सुणा,
सोळहा दिन थारी बाट देखकैं फेर महात्मा लिए बुला,
फेर किसे कै मन मै रहज्या गई समय आवैगी ना,

तारो तो मछली तार दियो ना साधू तो तारैंगे,
जो इनसे कोय छेड़ करैगा ना लड़कै हारैंगें,
बळती ताड़ ले रे सैं एक आधै कै मारैंगे,

सुणकैं राजा चुपके होगे कोय कान हिलावै ना,
अर्जुन कानी किया ईशारा क्युं राखी सै देर लगा,
तेरै हाथ तैं विजय बणैगी इतणी सुणकैं चाल्या ध्या,
पीछै-पीछै भीम चल्या था बळ्दी राखी ताड़ उठा,

कई कई न्यूं कहण लगे थे सनै सनै जिक्र चला,
एक महात्मा जा रह्या सै मछली तारण करो निंगाह,
यो लठ आळा क्युं गैली होरया के मतलब सै दियो बता,

एक एक नै कह रह्या था हाथ पकड़ कैं न्यू समझा,
मतन्या बोलो मतन्या बोलो समय सोच कैं ल्यो गम खा,
दो बातां मै एक बात की बिलकुल टाळ बणै कोन्या,
के तो कोय बहु का भूखा बाबा जळै आग के म्हां,
के यो मोडा ताड़ ले रह्या एक आधै कै दे गा प्या,

धनुष बाण कै धौरै पहुंचा नर का वो अवतार देखिये,
गुरु द्रौण को याद किया था सुमरे कृष्ण मुरार देखिये,
कर धर सर को चुचकारा था लाई कोन्या वार देखिये,

लाख लाख की खाक करणीया आँख खोल कैं करैं निंगाह,
मिन्टों के अन्दर देखो चालीसों दी भाल चढ़ा,
अर्जुन की जब करैं बड़ाई सारे राजा रहे सराह,

हिरण को मालुम कोन्या हो नाभी मै कस्तुरी,
शील सुभा का देख महात्मा कति नहीं मगरूरी,
सब राजों कै हुई तसल्ली पैज करैगा पूरी,

चाळीसों की भाल चढ़ा कैं चल्या कढ़ाई कानी ध्या,
अग्न देव दे रहे झप्पटा वहाँ पै अर्जुन गया घबरा,
मेरै लायक काम था वो पूरा दिया बणा,
अग्न देव कै नहीं मुलाजा नहीं पास मै जाया जा,
हे भगवान दया करीयो संकट के म्हां करो सहा,

जगह जगह का भूप हो रह्या सै आज कट्ठा,
नहीं मीन उतरै तो मेरै लागज्या बट्टा,
राजा लोग कहैगें बाबा है उल्लु का पट्ठा,
पारब्रह्म भगवान तेज अग्नि का करदयो मट्ठा।।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 844 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे पांच रोला छंद
मेरे पांच रोला छंद
Sushila joshi
नज़र
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
“दोस्त हो तो दोस्त बनो”
“दोस्त हो तो दोस्त बनो”
DrLakshman Jha Parimal
प्रवासी चाँद
प्रवासी चाँद
Ramswaroop Dinkar
2943.*पूर्णिका*
2943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उस
उस "पीठ" को बेवक़ूफ़ मानिएगा, जो "पेट" की शिकायत हमेशा उसी की
*प्रणय*
खुशनसीब
खुशनसीब
Naushaba Suriya
शीर्षक - स्वप्न
शीर्षक - स्वप्न
Neeraj Agarwal
जीवन की धूल ..
जीवन की धूल ..
Shubham Pandey (S P)
"उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई काम जब मैं ऐसा करता हूं,
कोई काम जब मैं ऐसा करता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
पूर्वार्थ
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
Ashwini sharma
किसी अनजाने पथ पर भय जरूर होता है,
किसी अनजाने पथ पर भय जरूर होता है,
Ajit Kumar "Karn"
आप हमें याद आ गएँ नई ग़ज़ल लेखक विनीत सिंह शायर
आप हमें याद आ गएँ नई ग़ज़ल लेखक विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
ज़िंदगी के किताब में सबसे हसीन पन्ना
ज़िंदगी के किताब में सबसे हसीन पन्ना
Ranjeet kumar patre
This Love That Feels Right!
This Love That Feels Right!
R. H. SRIDEVI
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
Saraswati Bajpai
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🎉 🎉 🎉
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🎉 🎉 🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फौजी की पत्नी
फौजी की पत्नी
लक्ष्मी सिंह
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
उदासी की यही कहानी
उदासी की यही कहानी
Suryakant Dwivedi
मेरी भी सुनो
मेरी भी सुनो
भरत कुमार सोलंकी
थोड़ा नमक छिड़का
थोड़ा नमक छिड़का
Surinder blackpen
एहसान फ़रामोश
एहसान फ़रामोश
Dr. Rajeev Jain
Pyar ka pahla khat likhne me wakt to lagta hai ,
Pyar ka pahla khat likhne me wakt to lagta hai ,
Sakshi Singh
*सेवा-व्रतधारी सदा राष्ट्र, सेवा में ही रत रहते थे (राधेश्या
*सेवा-व्रतधारी सदा राष्ट्र, सेवा में ही रत रहते थे (राधेश्या
Ravi Prakash
Loading...