Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2020 · 2 min read

किस्सा – काश्मीर की घाटी का

किस्सा – काश्मीर की घाटी का
************************

दोहा
*******

जकड़ी थी जो पाक ने, जन्नत सी जागीर।
चाणक्यनीति संग्राम से, पाया वो कश्मीर।।

दो हजार उन्नीस में , पाँच अगस्ती शाम।
भारत के दो शेर ने, किया अनौखा काम।।

जिसकी सत्तर साल से, रही प्रतीक्षा रोज।
ईश्वर की कृपा तले, लिया मार्ग वो खोज।।

कविता
*********

आज सुनाऊँ किस्सा तुमको, काश्मीर घाटी का,
महके जिसकी वादी वादी, जन्नत की उस माटी का ।

घर बैठे कुछ ग़द्दारों ने , उसपर धाक जमाई थी ,
जन्नत की उस बगिया में , आतंकी पौध उगाई थी ।

370 – 35 – A की , हतकड़ियों में कैद किया,
आड़ प्रथाओं की ले लेकर , हर पल काम अवैध किया।

वो नोंच के बोटी जन-जन की, घर को शमशान बनाते थे,
मासूमों के हाथों में आकर हथियार थमाते थे।

बच्चे बूढ़े नर नारी सब, मौत के भय से डरते थे,
हँसना भूल गए थे सारे , घुट घुट आहें भरते थे।

रक्षक पहरेदार बना , दो लख सैनानी भेज दिए,
जा वीरों ने रचा चक्रव्यूह , सब आतंकी घेर लिए।

मुफ़्ती अब्दुल्ला नज़रबन्द कर, कूटनीति काम लिया,
मोदी जी ने हर बन्दे को , राहत का पैगाम दिया।

नियम नये कुछ लागू कर अब , जन्नत नई बसाई है,
सत्तर साल में यारो अब, पूरी आज़ादी पाई है।

विश्व विजय का सिंह नादकर , अदभुत संख बजाया है,
अब काश्मीर की वादी को, माँ का सरताज बनाया है।

भारत माँ दुल्हन सी सजकर, देखो सम्मुख आयी है,
झूम रहे नर-नारी-बच्चे, लहर खुशी की छायी है।

अब काश्मीर की घाटी में , खुशियों का परचम फहरेगा,
घर घर की छत पर यारो, अब रोज तिरंगा लहरेगा।

आतंकी मनसूबे सारे , आज हुए हैं खण्ड-खण्ड ,
जन जन के ह्रदय से निकला, जय वीरो जयघोष प्रचण्ड

घाटी का ये चप्पा चप्पा, वन्देमातरम बोल रहा,
भारत की हुँकारों से अब, भू मण्डल भी डोल रहा।

दुनियाँ के नक़्शे से इक दिन, नामोनिशां मिटा देंगे,
गर दुश्मन ने चाल चली, तो माटी में दफना देंगे

‘माही’ का लेखा जोखा , जिस दिन करवट बदलेगा,
उस दिन यारो दुनियां का ये, नक्शा फिर से बदलेगा।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

Language: Hindi
5 Likes · 8 Comments · 585 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Pratibha Mahi
View all
You may also like:
तुझे भूले कैसे।
तुझे भूले कैसे।
Taj Mohammad
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मार मुदई के रे
मार मुदई के रे
जय लगन कुमार हैप्पी
लोग कहते हैं मैं कड़वी जबान रखता हूँ
लोग कहते हैं मैं कड़वी जबान रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
सत्य कुमार प्रेमी
आंखें हमारी और दीदार आपका
आंखें हमारी और दीदार आपका
Surinder blackpen
जीने का हक़!
जीने का हक़!
कविता झा ‘गीत’
सर्द हवाओं का मौसम
सर्द हवाओं का मौसम
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
बिटिया
बिटिया
Mukta Rashmi
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
Manoj Mahato
କାଗଜ ପକ୍ଷୀ
କାଗଜ ପକ୍ଷୀ
Otteri Selvakumar
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
तुम
तुम
Dr.Pratibha Prakash
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" कृष्णा का आवाहन "
DrLakshman Jha Parimal
"कहीं तुम"
Dr. Kishan tandon kranti
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
ज़ब घिरा हों हृदय वेदना के अथाह समुन्द्र से
ज़ब घिरा हों हृदय वेदना के अथाह समुन्द्र से
पूर्वार्थ
👍👍
👍👍
*प्रणय*
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
घमण्ड बता देता है पैसा कितना है
Ranjeet kumar patre
3835.💐 *पूर्णिका* 💐
3835.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वेलेंटाइन डे रिप्रोडक्शन की एक प्रेक्टिकल क्लास है।
वेलेंटाइन डे रिप्रोडक्शन की एक प्रेक्टिकल क्लास है।
Rj Anand Prajapati
മഴ
മഴ
Heera S
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
Mohan Pandey
आज वक्त हूं खराब
आज वक्त हूं खराब
साहित्य गौरव
मैं तुम्हें
मैं तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
Loading...