‘किस्मत’
‘किस्मत’
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बहुत बड़ी चीज है , किस्मत;
कोई खुद , किस्मत लिखता;
कोई , रेडिमेड किस्मत पाता;
कहीं ये है , वैधानिक उपहार;
कहीं , माता -पिता का प्यार;
इसे ही तो , नसीब भी कहतें;
पाने वाला , खुशनसीब होते;
खोने वाला , बदनसीब रोते ;
नसीब पे , तुम मत इतराओ;
तेरा कुछ नहीं ये जान जाओ;
भाग्य पलटते,देर नहीं लगती;
सोती किस्मत, जरूर जगती;
ये तो , कर्मों का फल होता है;
जैसे, निर्मल गंगाजल होता है;
नसीब डरती, सिर्फ मेहनत से;
मेहनती किस्मत,अपनी होती;
मेहनत, जब-जब रंग लाती है;
ये फकीर को, राजा बनाती है;
मगर, मेहनत से ही तो हमेशा;
रंग-बिरंगी किस्मत घबराती है;
अयोग्यता ही, इसका साथी है;
पल में राजा को रंक बनाती है।
मगर तकदीर का ये फसाना है;
योग्य मूर्खो का भी , जमाना है;
किस्मत, भाग्य,नसीब,तकदीर;
ये सब तो , बस एक बहाना है।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज ‘कर्ण’
…………. कटिहार।।
तिथि:१७/१०/२०२१