किस्मत और इंतजार
पता नहीं था किस्मत मे नहीं तूं मेरी।
पता नहीं क्यों तेरे लिए आंसू बिखेरती रही।।
मेरे जिस्म के हर खून के कतरे मे
मैं नहीं थी बस तेरी ही रूह बोलती रही।।
किया प्यार था करती हूं और करती रहूंगी।
जान तेरे कदमों से सदा तोलती रही।।
प्यार रब्ब है और रब्ब हैं तूं मेरा।
इस रब्ब को फिर हमेशा ढूंढती रही।।
आप शायद ख्याबों मे ही थे ।
मैं इंतजार के पन्ने फोलती रही।।
कृति भाटिया।।