किसे पता था ?
किसे पता था,
ऐसा कुछ हो जाएगा,
कोई अजनबी यूँ दिल के क़रीब आएगा,
रुके से कदम फिर चल पड़ेगें,
बेजान रास्ते फ़िर महक उठेंगें,
कभी थे अजनबी-अनजान,
जैसे दो बर्फ़ीले पहाड़,
खड़े हों मुँह फेरे,
प्रेम की आँच से पिघले दो शिलाखंड,
बन हवा महके उपवन दर उपवन,
हवाएँ कभी इतनी ख़ुशनुमा न थी,
किसे पता था,
ऐसा कुछ हो जाएगा,
रोशन रोशन सारा जहाँ हो जाएगा,
छोटा सा जुगनू सूरज बन जाएगा,
फूल खिलेंगें दिल में ही नही, राहों में
आशा बन कोई बहार सी नई लाएगा,
कोई आएगा और दिल के तार झंकृत कर जाएगा,
फिर से जी भर जीना सिखाएगा
किसे पता था,
ऐसा कुछ हो जाएगा !!!