किसी_ने_हमारे_सूबे_का_रंग_बदल_रखा_है…
किसी ने हमारे सूबे का रंग बदल रखा है,
मौसम बदल रखा है,माहौल बदल रखा है,
जो कभी दिन चढ़े दुबके रहते थे रजाई में,
उन सभी बांके-मनचलों का मन बदल रखा है,
जो हमेशा पेट्रोल पे उड़ने का शौक रखते हैं,
उनका मन भी दौड़-भाग में लगा रखा है,
कभी पहना-नहाया नहीं था जो एक अरसे से,
आज उसने भी अपना रंगो-रूप बदल रखा है,
माँ-बाप का कोई काम जो न करने का आदी था,
देखा उसे बाजार में सब्जी की थैली पकड़ रखा है,
किसी ने हमारे सूबे का रंग बदल रखा है,
उन सभी बांके-मनचलों का मन बदल रखा है,
पढ़ा था कभी मोहब्बत उम्र की मोहताज़ नहीं,
जवानों की बात क्या बुड्ढ़ों का मन मचल रखा है,
जो कभी सादगी रखते थे अपनी जवानी में भी,
आज वो भी अपनी शख्सियत रंगीन कर रखा है,
जिन्हें डर था कभी इज़्ज़त पर आँच आने का,
आज उनलोगों ने ही उसे ताख पर रखा है,
मोहब्बत निक्कम्मी और लाचार बना देती है,
इसलिए हमने यह आदत खुद से दूर कर रखा है!