किसी से बैर क्या रखना __ कविता
चलो _ हम_ साथ_ चलते _है _
किसी से बैर क्या रखना।
(१)_उसका उसको खाने दे।
अपना तू भी कमा ले रै।
बात न बिगड़े जीवन की।
तू अपने दिल में सजा ले रै।
हमेशा बात यह मेरी याद रखना।
किसी से बैर क्या रखना।।
(२)_अच्छे और बुरे दिन तो।
सभी मैं आते जाते हैं।
बुराई छोड़ दे अपनी।
तुझे सब समझाते हैं।।
अच्छाई पकड़ रखना।
किसी से बैर क्या रखना।।
राजेश व्यास अनुनय