किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है
कभी मंगल कभी शुक्कर कभी इतवार होता है
कलेँडर के सभी पृष्ठोँ पे कोई वार होता है
पिता -माता , बहन- भाई सभी को भूल जाता है
किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है
कभी मंगल कभी शुक्कर कभी इतवार होता है
कलेँडर के सभी पृष्ठोँ पे कोई वार होता है
पिता -माता , बहन- भाई सभी को भूल जाता है
किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है