किसी दिलगीर को थोड़ा हँसा देता तो अच्छा था
किसी दिलगीर को थोड़ा हँसा देता तो अच्छा था।
किसी की आंख से आंसू चुरा लेता तो अच्छा था।।
गुज़ारी बंदिशों में ज़िंदगी तो ये समझ आया
परिंदे कैद है उनको उड़ा देता तो अच्छा था।।
फ़कत दीवार ही तो थी अना की दरमियां दिल के।
जो रहते वक़्त ही इसको गिरा देता तो अच्छा था।।
चुभे जो पाँव में मेरे हुआ महसूस तब मुझको।
किसी की राह से कांटे हटा देता तो अच्छा था।।
लिबासों से मेरे आती थी हरदम इत्र की खुशबू।
अगर किरदार में थोड़ी बसा लेता तो अच्छा था।।
मदद की कर रहा हूँ आज मैउम्मीद तो सबसे।
किसी का काम जो मैं भी चला देता तो अच्छा था। ।
अनीश अब खो दिया सब वक्त तो सिक्के कमाने में।
जो थोड़ी नेकियां मैं भी कमा लेता तो अच्छा था।।
@nish shah