किसी दिन
चलो किसी दिन सितारों पे सफर करते है
ये जिंदगी नए सिरे से बसर करते है
बहुत हुयी मसरूफियते अब तमाम करो
आओ एक शाम तो फुर्सत से बसर करते है
चलो ऐसी जगह जहां ना कोई ग़म आए
सुनो जाके हम बहारो को ये खबर करते है
बहुत दिनों में वापस आया है वो ही मौसम
चलो ना फिर वो ही शामों सहर करते है
खुशियाँ ही खुशियाँ हो खुशियो का वो ही आलम हो
खिलखिलाता हुआ फिर वो ही गुले गुलजार करते है,,
Shabina naaZ