किसी तरह….
किसी तरह….
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मेरा ये जीवन
यूॅं ही कट जाए
किसी भी तरह…..
किसी न किसी तरह
कष्ट तो बहुत सारे हैं….
जिसे हम सह नहीं पाते हैं
पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि
दे दो हम सबको ऐसा वरदान
जिस असीम शक्ति के सहारे
हॅंसते-हॅंसते सह जाएं हम
उन सारे ही कष्टों को
किसी भी तरह….
किसी तरह…..
जीवन के
हरेक क्षेत्र में
हर मोड़ पे ही
धन लोलुप मानव
कुंडली मारे बैठे हैं
बस, इसी इंतजार में कि
कोई भी सरल, सीधा इंसान
संयोगवश उसके पाले में आएगा
वो उसे अच्छे से गिरफ़्त में लेकर
उससे कुछ मनचाहा करवाएगा
बस इन्हीं सब बातों से सदैव
घबरा जाता है मेरा ये दिल
और यह सोचने पर मुझे
विवश कर देता है कि
कट जाए ये जीवन
छुटकारा मिल जाए
इन बेईमानों की
गंदी टोलियों से
किसी भी तरह…
किसी तरह….
तनिक
शोर भी
मचा नहीं सकता
जब ऐसे बेईमानों से
कुछ पाला पड़ जाए…..
तनिक शोर जो मचाऊं तो….
कोई भी नहीं सुननेवाला…..
जो कोई भी बचाने आता…..
लाखों सवालात वो कर जाता
फिर, बेईमानों से ही मिल जाता
हमें ही कटघरे में खड़ा कर जाता
इन सारी बातों को सोच-सोचकर
मेरे अंतर्मन में ये प्रश्न सदा ही
ज्वालामुखी की तरह उठता
खुद को झकझोरता रहता
और खुद को ही समझाता
कि इस नश्वर संसार में
गुज़र – बसर कर पाऊं
इन गंदी मानसिकता से
जूझने की शक्ति पाऊं
सबका भला कर जाऊं
कुछ ख़ास कर पाऊं
कुछ नाम कर जाऊं
किसी भी तरह….
किसी तरह….
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 24 सितंबर, 2021.
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