किसी जिस्म से निकलकर रूह
किसी जिस्म से निकलकर
रूह
नये जिस्म में आशियाना न
पाकर ठीक ऐसे भटकती होगी जैसे
किसी शायर के दिल में
ख्यालों का सैलाब उमड़ रहा हो और
उन्हें उतारने के लिए उसे
कागज, कलम और दवात न
मिल रही हों।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001