किसी को क्या खबर है
किसी को क्या खबर है……
कौन किस कयामत से
गुजरता है
ये तो वो ही जाने के जिस पर
जो गुज़रता है..
कभी इंसान बिखर जाता है
तो कभी खुद ही सम्भलता है..
कभी मजबूर होता है मोहब्बत से
कभी फ़र्ज़ के लिए मरता है..
ना सोचो के कोई अपना है
या पराया है
मुहब्बत से जिसे अपना बनाना लो
वही दिल से मिलता है
किसी ने कब सिला पाया वफाओ का…
यहां पर
ये दस्तूर ए_दुनिया है
जो करता है..वो मरता है
तो क्या हुआ फिर भी वफा
का नाम आज भी
जिन्दा है
ना दे बंदे सिला इस्का
खुदा तो सब को देता है..
.वो बिगड़ी को बनाता है
वो ही बिछड़े को मिलाता है
वो देता है अजमत वो ही
देता है इज्जत….
जिस ने थामी हो डोर रब की
फिर परवाह क्या किसी की
क्यू के.
सुनो!!!
.मेरा खुदा हर पल उस के
साथ होता है….
शबीनाजी