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1 Dec 2022 · 1 min read

किसी कि चाहत

साहिब मेरे मन मे किसी की चाहत बस गई है
किसी की मुस्कुराने की आदत अच्छी लगती

उसका ही नाम हर पन्ने में लिखा जाता रहा,
मेरी कलम ऐसे ही किसी की इबादत करती रही

जिंदगी के चमन में बहार एक ही पल में छा गई
सोचा ना था, कि किसी की मोहब्बत यूं रंग लायेगी

उसने इस कदर एक पत्थर के बुत को, तराशा
हम भी निकले, एक सुंदर सी मूरत किसी की ।

सोचा था जिंदगी का ये सफर को तन्हा ही काट लेंगे
मगर है किसी की जरूरत महसूस होने लगी है

अब हम करें भी तो क्या करें वो मयखाने जा कर
किसी की उल्फत आंखों से पैमाने छलका देती है

2 Likes · 2 Comments · 171 Views
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