किसी का टूट जाये दिल कभी वो बात मत कहिये
किसी का टूट जाये दिल कभी वो बात मत कहिये
मुहब्बत पाक बंधन है इसे ख़ैरात मत कहिये
सुबह से शाम तक इक आपकी ही फ़िक्र रहती है
मुहब्बत को हमारी यूँ सियासीयात मत कहिये
वफ़ादारी निभाता है कहाँ कोई ज़माने में
बिना जाँचे बिना परखे कभी जज़्बात मत कहिये
जुदाई ज़ख्म आँसू और जीवनभर की तन्हाई
मुहब्बत में हमें क्या-क्या मिली सौगात मत कहिये
निखरता है बशर मुश्किल पलों में ही सदा ‘माही’
कभी भी ज़िंदगानी में बुरे हालात मत कहिये
माही