*किसी कार्य में हाथ लगाना (हास्य व्यंग्य)*
किसी कार्य में हाथ लगाना (हास्य व्यंग्य)
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किसी भी कार्य में अपना हाथ लगा देना एक कला होती है। ऐसा करके व्यक्ति उस कार्य को करने के पुण्य का भागीदार बन जाता है। केवल चतुर लोग ही वर्षों की साधना के बाद हाथ लगाने की कला को समझ पाते हैं।
सीधे-साधे टाइप के लोग जब कार्य हो रहा होता है, तब दोनों हाथ बॉंधे हुए अथवा जेब में डाले हुए उदासीन भाव से खड़े रहते हैं। परिणामत: इतिहास में उनका नाम कहीं दर्ज नहीं होता। चतुर लोग छह इंच आगे बढ़कर झट से अपना दॉंया या बॉंया हाथ पवित्र कार्य में लगा देते हैं। इससे इतिहास में उनका नाम अमर हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई महापुरुष किसी प्रतिष्ठान का उद्घाटन अपने कर-कमल से कैंची से फीता काटकर कर रहा है, तब इतिहास में केवल फीता काटने वाले महापुरुष का नाम ही लिखा जाएगा। लेकिन आसपास के लोग अगर सजग और सतर्क हों तो वह भी इतिहास में अपना नाम लिखा सकते हैं। इसका सबसे अच्छा तरीका तो यह है कि आप भी आगे बढ़कर कैंची को अपने हाथ से पकड़ लें । लेकिन यह थोड़ा अशिष्ट और जोखिम से भरा व्यवहार माना जाएगा। हो सकता है, महापुरुष आपके हाथ को झटक दे। वह अपनी कैंची किसी अन्य के हाथ में नहीं देगा। अब दूसरा उपाय यह है कि आप उद्घाटनकर्ता के हाथ को छूने का प्रयास करें। अगर उद्घाटनकर्ता ने आपको अपना हाथ छूने दिया तो यह माना जाएगा कि आपने उद्घाटनकर्ता के कर-कमल का स्पर्श किया और उद्घाटन कर्ता ने अपने कर-कमल से फीता काटा है, अतः इसका श्रेय आपके हाथ को भी अवश्य जाएगा।
लेकिन हर मामले में यह जरूरी नहीं है कि उद्घाटनकर्ता आपको अपनी कोहनी का स्पर्श करने की अनुमति दे। ऐसे में तीसरा उपाय यह है कि आप फीते को पकड़ने की कोशिश करिए। अगर आपने फीता पकड़ लिया तो निश्चित रूप से उद्घाटनकर्ता के निकट सहयोगी के रूप में आपके नाम का उल्लेख हमेशा किया जाएगा।
यह तो निश्चित है कि समाज में फोटो खींचते समय जागरूकता की भारी कमी देखी गई है ।आप अनेक फोटुओं में उन लोगों को याद कीजिए जो सदैव एकटक फोटोग्राफर के कैमरे की तरफ ही देखते रहते हैं। उनका फोटो कितना साफ चमकदार आता है ! खुली हुई आंखें … खिलता हुआ चेहरा …ऐसा लगता है मानो यह सज्जन फोटो खिंचवाने के लिए ही बने हों । जबकि दूसरी ओर आप ऐसे लोगों को भी देखेंगे जो फोटो में हमेशा या तो मक्खी भगाते हुए दिखेंगे या अपने कपड़ों को ठीक करते हुए नजर आएंगे। किसी की आंखें बंद हो जाती हैं। कोई दाएं-बाएं देखने लगता है। कई लोग वैसे तो हर समय मुस्कुराते रहते हैं लेकिन फोटो खींचने के ऐन मौके पर अचानक उदासीन हो जाते हैं
इस तरह इतिहास में उनकी रोनी सूरत हमेशा के लिए दर्ज हो जाती है। कई लोग तो फोटो खींचते समय सज-धज के आते हैं। कुछ लोग फोटो खींचते समय ऐसा जान पड़ता है, मानो सोकर उठे चले आ रहे हैं।
आजकल मोबाइल का जमाना है। हर व्यक्ति को हर समय फोटो खिंचवाने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्या पता कब कौन आ जाए और एक सेल्फी ले ले। पता चला कि जिसने सेल्फी ली, वह तो सजा-सॅंवरा है मगर जिसके साथ सेल्फी ली गई है वह बेचारा बालों को संभालता रह जाता है।
फोटो व्यक्ति को इतिहास में अमर करते हैं। जब भी कहीं फोटो खिंच रहा हो तो आदमी को उस फोटो में किसी न किसी प्रकार से अपने को समाविष्ट करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। कोई किसी को फोटो में शामिल नहीं करना चाहता।
बारात में दूल्हे की फोटो तो अवश्य ही ली जाती है लेकिन उसके आसपास कौन-कौन खड़ा हो, यह तो हमेशा निकट घूमने वाले व्यक्तियों की चतुराई पर ही निर्भर करता है। जितने भी उद्घाटन या उत्सव होते हैं, उन सब में मुख्य अतिथि के इर्द-गिर्द अंगद की तरह पांव जमा कर खड़े रहने वाले महानुभावों के ही फोटो इतिहास में दर्ज होते हैं। कई बार फोटो में स्वयं को शामिल कर लेना टेढ़ी खीर होती है। कई लोग फोटो के खींचते समय बिल्कुल किनारे पर होते हैं। फोटोग्राफर उन्हें महत्वहीन जानते हुए अनेक बार फोटो में उन्हें शामिल नहीं करता है । इस तरह जरा-सी चूक से व्यक्ति इतिहास में दर्ज होते-होते रह जाता है। फिर बाद में वह प्रकाशित फोटो को दिखाकर चार लोगों को बताता है कि देखो इस फोटो में जो अंतिम छोर पर व्यक्ति खड़ा है, उसके ठीक बराबर हम खड़े थे। नीला रंग की कमीज पहने थे, जो शायद आपको दिखाई दे रही होगी । मगर यह सब पुरानी बातें होकर रह जाती हैं। अब पछताए होत क्या , जब चिड़ियॉं चुग गई खेत अर्थात जब फोटो खींचते समय आपने जागरूकता का प्रदर्शन नहीं किया और फोटो में आप नहीं आए तो अब रोने-धोने से कोई फायदा नहीं।
एक बार हम एक कार्यक्रम में गए थे। हम तीन परिचित व्यक्तियों का फोटो खींचने के लिए फोटोग्राफर आया। जैसे ही फोटोग्राफर ने हमारा फोटो खींचना चाहा, एक चौथा व्यक्ति परिदृश्य में टपक पड़ा। वह बोला “तीन लोग अच्छे नहीं होते हैं। चार का फोटो अच्छा माना जाता है।” फोटोग्राफर में हम चारों लोगों का फोटो खींच लिया। फोटो खींचने के बाद वह चौथा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया। हम तीनों व्यक्तियों ने उस चौथे व्यक्ति के बारे में आपस में जानकारी प्राप्त करना चाही तो पता चला कि उस चौथे व्यक्ति को कोई नहीं जानता था। मगर उस चौथे व्यक्ति की चतुराई देखिए कि उसने किस खूबी के साथ फोटो के इतिहास में अपने आप को दर्ज कर लिया।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451