किसान
चट्टानी पृष्ठ पर,
कुदाल रूपी कलम लेकर
लहू स्वेद की स्याही से
उकेरते हैं लहलहाते हुए
फसलों की आकृति।
इस आकृति की प्रारंभिक
स्वरूप है नन्ही सी बीज।
जिसमें पड़ती है खाद और पानी
न्यौछावर होती बुढ़ापा और जवानी
तब जाकर तैयार होता है फसल
जिसे ग्रहण करते हैं हम
और आप और यह पूरा देश।