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6 Apr 2021 · 1 min read

किसान

*********** किसान ***********
*****************************

न सवेर देखते और न ही शाम देखते,
किसान मेरे देश के सदा काम देखते।

गर्मी,सर्दी,वर्षा की परवाह नहीं करते,
दिन हो या रात न कभी आराम देखते।

फसलों को बच्चों की है भान्ति पालते,
धूप हो या छाँव न कभी विश्राम देखते।

मिट्टी में मिट्टी हो कर हैं सोना उगाते,
बात कोई भी खास न ही आम देखते।

बेशक कर्जों के सदा बोझ में है जीते,
विपदा हल्की या भारी सरेआम देखते।

आत्महत्या करने को हो जाते मजबूर,
जमीट जिंदा रखते न तामझाम देखते।

हलधर जिंदादिली की क्या मिशाल दें,
आई पर आ जाएं तो न ही दाम देखते।

किसान और जवान हैं जिंदाबाद रहते,
मनसीरत जीवन में न ही विराम देखते।
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 230 Views
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