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28 Feb 2021 · 1 min read

किसान

कपड़े है एक जोड़ी,घर में नहीं तिजौरी,पास नहीं फूटी कौड़ी,फिर भी ईमान है।
नित अभावों में पला, भूख से पेट भी जला, सत्य पथ से न टला,देवता समान है।
घर में टूटी खटिया,बैठी कुमारी बिटिया,चुल्हा जलाती बुढ़िया,बड़ी परेशान है ।
आँखों में अश्रु की धारा,सबका पालनहारा,बेचारा भाग्य का मारा,देश का किसान है।

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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