किसान
रिम झिम रिम झिम करते
आती है बरसा रानी।
टप टप टप टप करते
बरसाती है पानी।
टर टर टर टर करता
है मेढ़क राजा
छप छप छप छप करता है बिचड़ा
खेतों में किसान ।
कल कल कल कल करती है
नदियाँ उफान में।
रुनझुन रूनझुन पायले करती
जब जाती गौरी खेत में।
टन टन टन टन घन्टी करता
अपने बेलों के गले में।
कितना सुन्दर कितना मनमोहक
होता है नजारा खेत में।
ऊपर नीला है अम्बर,
नीचे है धरती की हरियाली।
मेहनत करता किसान खेत में
भरता हर इंसान का पेट।
भोजन हर किसी को चाहिए।
धरा की सुंदरता है प्यारी सबको
कायल है रवि अन्नदाता के मेहनत का
सीमा पर जवान होते हैं घायल।
राजनीतिकारो को फिक्र नहीं है।
जय जवान जय किसान के नारों का
सरोकार नहीं है किसानों से उन्हें।
उन्हें तो अपने फसल की पड़ी है।
लगा दिया आश्वासन की झड़ी है।
भाड़ में जाये जनता, अपना काम है बनता
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रवि शंकर साह “बलसारा”
बैद्यनाथ धाम, देवघर झारखंड।