किसान
विषय- किसान !!
||कलाधर छंद||
विधान—गुरु लघु की पंद्रह आवृति और एक गुरु!
अर्थात 2 1×15 तत्पश्चात एक गुरु।
इस प्रकार 31 वर्ण प्रति चरण,चार चरण समतुकान्त !
देख लो उदास है किसान चाहता निदान,
मूल्य काम का नहीं दिया बड़ी सजा सहीं !
और हैं गरीब जो करें कड़ा विरोध आज,
भूख से मरे सदा अजीब न्याय हैं कहीं !
ढूँढता रहा जवान नौकरी हुआ अनाथ ,
भीड़ की कतार में गुमान खो गया यहीं!
बाल हाल देह के बुरे हुए निढ़ाल जान,
बालिका उदास नित्य भेद भाव पा रही !!१
क्या हुआ इमान का बिके सदैव मोल भाव ,
आन बान मान में मिटी अपार नारियाँ !
देश के महान पूत खो गयें बढ़ा विकार ,
दैत्य कर्म नोचता विरान बाल आसियाँ !
सोच लो नवीन सभ्य हाल चाल देश धर्म,
वासना मिटी अपार साधना कहानियाँ !
राह है अनेक बार चाहती निदान जंग ,
प्रेम की हवा बही जरूर हैं निशानियाँ !!२
मृत्यु सत्य देह की सुधारती सदा विचार ,
जिंदगी निखारिये उपाय जान लीजिए !
प्रेम संग काम काज और का रखो खयाल,
लोभ मोह पाप के विकार दूर कीजिए !
भोर सा उजास हो निरोग देह हो सदैव,
साथ हो उदारता विशेष ध्यान दीजिए !
विश्व में अशांति का निदान योग भक्ति जान ,
दिव्य हैं सदा महा विराट पेय पीजिए !!३
छगन लाल गर्ग “विज्ञ” !