#किसान दादा
भोर भई रे भईया,
उठो रे किसान दादा।
बेरा भईल लाल,
समय चलत आपन चाल।
लई दतुन-पानी,
मुँँह कुरकुर्चा करो रे भईया।
खाईके माड़-भात,
बैलो को नारो भईया।
खेतन को जोत-कोड़ के,
घनी खेती करो भईया।
भादर मे बादर खुब रहे,
जमके पानी बरस रहल।
खेतन में बढी़ है चहल-पहल।
खेतन में दाना बीगो रे,
फसल लहलहाओ रे।
खेती के उपज बढ़ाओ,
तनिक जीवन सुदृढ़ करो रे भईया।
करोना का है सीजन,
मिलत नाहीं आक्सीजन।
पेड़ घना लगाओ,
ई किल्लत को भगाओ।
रोगी मन के कुछ मदद करो,
आपन इंसानियत को जगाओ।
>मौलिक रचनाकार:-Nagendra Nath Mahto
22/June/2021
Copyright:-Nagendra Nath Mahto
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