✍️किसान के बैल की संवेदना✍️
✍️किसान के बैल की संवेदना✍️
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मालक सूली पर
अपने आपको ना चढ़ाईये
मुश्किल के कीचड़ में
परिवार के पाँव ना गढ़ाईये
इस दफ़ा इंसान से ईश्वरअल्ला
की इबादत और प्रार्थना में
कुछ कमी रह गयी होगी
सिर्फ दुःखो की बारिश हुयी है
इसलिये फसल भी हमसे रूठ गयी होगी
मालक अपने आपको
मत कोसिये
कुछ तो कभी ना कभी बदलेगा
इत्मीनान रखिये
किसान को धीरज बंधाते
दोनों बैल ने संवेदना जताई
आपके दो हाथों से
हमारे आठ पैरो के
कड़ी मेहनत से फिर किस्मत बदलेगी
किसान की दोनों आँख भर आयी
उसके सूखे शरीर में थोड़ी जान तर आयी
किसान ने जानवरो के गहरे दर्द
को अपने अंतर्मन में सहेज लिया
अपने अंदर ही अंदर सोचने लगा
काश धरती पालनहार के नंगे पैरों
के छालें संसद के बुनियाद में पड़ जाये
और ये दर्द उन दीवारों से छलक आये
शायद कोई सफ़ेद खादी पसीज जाये
खेतों के मिट्टी से हलकी काली पड़ जाये
फिर थाली में परोसे सफ़ेद चावल
की किंमत वो भी समझ जाये…!
एक बैल अपने तन से मालक को सहलाने लगा…
मानो किसान का दर्द किसान को बहलाने लगा…
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✍️”अशांत”शेखर✍️
04/06/2022