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31 Dec 2019 · 1 min read

किसान की रात

धरा ने ओढ़ रखी,
हरी भरी चुनरिया ।
मौसम हुआ सर्द ,
बह रही पुरवइया ।।

पूस की ठंडी रात,
बहुत लंबी होती ।
करवटे यूँ बदलते,
रात नही बीतती ।।

किसान बेबस है,
करें वो रखवाली ।
ठिठुर ठिठुर कर,
पाने खुशहाली ।।

मौसम की मार ,
लाला का ब्याज ।
करते नही रहम,
चाहे बिगड़े काम ।।

फसल मेहनत मांगे,
बिना श्रम कुछ नहीं ।
दिन रात करो काम ,
खलिहान भराते सही ।।

Language: Hindi
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