किसान की अरदास
***किसान की अरदास***
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सुन ले किसान की अरदास
कर उसकी भलाई में प्रयास
सड़क पर बदहाल से पड़े हैं
सियासत से हो बहुत हताश
खाक में मिला दिया है वजूद
मिट्टी में मलियामेट हर श्वास
दुनिया का पेट भरे अन्नदाता
खुद भूखा सोता है बदहवास
दर बदर ठोकरें खाता रहता
कण कण अन्न का हो नाश
कर्ज में कर्जदार हो लाचार
ख्वाहिशें,ख्वाब हैं सत्यानाश
घरद्वार में बैठी है बेटी जवान
हारी बीमारी है गले की फांस
कुचल दें शोषक शोषित हक
खोस लेते निवास दे वनवास
मनसीरत न नसीब जून रोटी
पर द्वार ही करता रहे प्रकाश
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)