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30 Sep 2021 · 1 min read

किसान(गीत)

किसान (गीत)
■■■■■■■■■
नमन अन्नदाता किसान को सौ – सौ बार प्रणाम है
(1)
श्रम से अपने यह खेतों पर हस्ताक्षर करता है
भूख शांत करता है जग की यही पेट भरता है
जाड़ा गर्मी बरसातों में करता अपना काम है
नमन अन्नदाता किसान को सौ – सौ बार प्रणाम है
(2)
यह किसान है जिसको जानो अपना भाग्य-विधाता
यह किसान है जिसे नया इतिहास बनाना आता
यह किसान है प्रहरी नभ का जिसका उज्ज्वल नाम है
नमन अन्नदाता किसान को सौ – सौ बार प्रणाम है
(3)
अगर नहीं होता किसान तो सोचो जन क्या खाते
सोना – चाँदी घर में होते पर भूखे मर जाते
छिपा अन्नकण पर किसान का ही सुंदर व्यायाम है
नमन अन्नदाता किसानों को सौ – सौ बार प्रणाम है
(4)
कभी बाढ़ आ जाती है तो सूखा कभी सताता
एक कदम आगे बढ़ता तो दो पीछे रह जाता
सुबह कभी दिखती उजियारी कभी साँवली शाम है
नमन अन्नदाता किसानों को सौ – सौ बार प्रणाम है
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
894 Views
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