किसने गोली बारी की
किसने गोली बारी की
महाकाल की धरती पर ही, किसने गोली बारी की।
शिवभक्तों को मार गिराकर, भारत से गद्दारी की।।
पकड़ टेटुवा फोड़ो सर को, जिंदा उनको दफन करो।
तड़पा तड़पा करके मारो, दफन बिना ही कफ़न करो।।
जितना दर्द दिया जा सकता, उतना दर्द ईजाद करो।
नर्क मिले मरने पर उनको, बम बम से फरियाद करो।।
हुए सपोले कितने पैदा, लहू बहाने घाटी में।
चुन चुनकर पहचानों उनको, जिंदा गाड़ो माटी में।।
जिन्दे आतंकी को पकड़ो, जिन्दे की बोटी काटो।
बोटी की रोटी बनवाकर, कुत्ते को रोटी बाटो।।
जीभ खींच डालो उनकी जो, जहर उगलते बोली को।।
ठांय ठांय दुश्मन के सीने, में मारो तुम गोली को।
कैसे धोएंगे परिजन के, दिल पर अंकित दागों को।
जहर उगलते हैं जो कुचलो, फन फैलाये नागों को।।
जैसे कोई धर्म नहीं जो, होता है हथियारों का।
वैसा कोई धर्म नहीं है, दुनिया में गद्दारों का।।
दुनिया से आतंक मिटा दो, जीना गर सम्मान से।
छोड़ो नफरत वाली बोली, बोलो पाकिस्तान से।।
-साहेबलाल दशरिये ‘सरल’