किसको बुरा कहें यहाँ अच्छा किसे कहें
धोखे मिलें हैं इतने कि अपना किसे कहें
किसको बुरा कहें यहाँ अच्छा किसे कहें
जीवन के इस सफ़र का कैसा हाल हो गया
है कारवां में हर कोई तन्हा किसे कहें
जब है न जौहरी सी खरी पारखी नज़र
इन पत्थरों में तू बता हीरा किसे कहें
नदियाँ समातीं हैं सभी सागर की धार में
गंगा किसे कहें बता यमुना किसे कहें
रँग देख ज़िन्दगी के हमें आता नहीं समझ
रोना किसे कहें यहाँ हँसना किसे कहें
ग़म रोज रोज पी रहे खुशियों के जाम में
पीना इसे कहें न तो पीना किसे कहें
हम साँस ले रहे यहाँ घुट घुट के ‘अर्चना’
जीना इसे अगर कहें मरना किसे कहें
08-05-2022
डॉ अर्चना गुप्ता