किसके लिए लिखता हूँ मै ?
किसके लिए लिखता हूँ मै।
ये ख्वाबो का जाल वृहद् विशाल।।
किसके लिए बुनता हूं मै ।
नम है आंखे सूना पङा है दिल का हरेक कोना ।।
फिर भी किसके लिए हंसता हूं मै।
सुने है कि पानी मे भी आग लग जाती है ।।
चांदनी भी जमीन पर उतर जाती है ।
ये हीरो मोती का हार किसके लिए जङता हूं मै।।
पानी मे चांद को क्यो पकङता हूं मै ।
ये कर मे लेकर लेखनी धवल पृष्ठो पर ।।
किसके लिए लिखता हूँ मै ।
यही सवाल बार बार सबसे पूछता हूँ मै ।।
कोई तो बताओ किसके लिए लिखता हूँ मै ।
ॐॐ RJ Anand Prajapati ॐॐ