Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2017 · 1 min read

किराये की कोख़

एक कोख़ किराये की
जिसमें पलता है भ्रूण किसी और का
मज़बूरी किसी की भी हो
पालती है नौ महीने तक
सींचती है अपने खून से
भरतीं है उसमें अपनी मज्जा
हर एक पीड़े के साथ
साथ में एक और पीड़ा
जुदाई का बिछड़ने का
कौन समझेगा उसका दर्द
समय के चक्रव्हू मे फँसी
बस नाम की है माँ वो
यह पेट की आग ही थी
जिसकी मार से वह नौ महीने
अपने उदर में दूसरे की आग पालती रही
जलती रही गलती रही और भटकती रही
अज्ञात भय के जंगल में
जिसका वर्णन शब्दातीत है
इस वेदना को समझे कौन?
समय है मौन, समय है मौन
डॉ मनोज कुमार
मोहन नगर गाजियाबाद

Language: Hindi
399 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Rj Anand Prajapati
4410.*पूर्णिका*
4410.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*रेल हादसा*
*रेल हादसा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" मुरादें पूरी "
DrLakshman Jha Parimal
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
प्रभु का प्राकट्य
प्रभु का प्राकट्य
Anamika Tiwari 'annpurna '
बेटियां अमृत की बूंद..........
बेटियां अमृत की बूंद..........
SATPAL CHAUHAN
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
Sangeeta Beniwal
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Santosh Shrivastava
पर्यावरण
पर्यावरण
Dinesh Kumar Gangwar
वेदना की संवेदना
वेदना की संवेदना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
नमन!
नमन!
Shriyansh Gupta
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
Neelofar Khan
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
एक शकुन
एक शकुन
Swami Ganganiya
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
हम बंधन में रहकर भी मुक्ति का आनंद उठा सकते हैं, बस हमें परि
हम बंधन में रहकर भी मुक्ति का आनंद उठा सकते हैं, बस हमें परि
Ravikesh Jha
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
Shubham Pandey (S P)
The darkness engulfed the night.
The darkness engulfed the night.
Manisha Manjari
दिखने वाली चीजें
दिखने वाली चीजें
Ragini Kumari
हम
हम
Adha Deshwal
🙅क्षमा करें🙅
🙅क्षमा करें🙅
*प्रणय*
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
Keshav kishor Kumar
अनजान राहों का सफर
अनजान राहों का सफर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
Loading...