किराए के भक्त
खुदा जाने यह सियासतदानों ने ,
कैसा चलन बनाया है।
अपनी गिनी चुनी उपलब्धियों और तारीफों ,
के लिए एक मजमा बनाया हुआ है ।
और उस मजमें में चंद पैसों से खरीदे हुए ,
अपने कुछ चमचों और अंध भक्तो को ,
बिठाया हुआ है।
जो करें बात बात पर वाहवाही और हां में हां मिलाएं,
ऐसे निकम्मे ,निठल्ले और आवारा किस्म के ,
लोगों का जनसमूह एकत्र करवाया है।
इन्हीं के दम पर ही तो जीतेंगे यह चुनावी जंग ,
दुश्मन दल पर प्रहार करने को क्या साधन बनाया है!
वाह भई वाह ! इन सियासतवदानो ने ,
सियासत का क्या खेल रचाया है!