किराए का मकान
आख़िर ये किस बात का
गुमान है, दोस्त!
हर शख़्स वक़्त का यहां
ग़ुलाम है, दोस्त!!
तुमने जिसे बपौती अपनी
समझ रखी है!
वह तो बस किराए का
मकान है, दोस्त!!
आख़िर ये किस बात का
गुमान है, दोस्त!
हर शख़्स वक़्त का यहां
ग़ुलाम है, दोस्त!!
तुमने जिसे बपौती अपनी
समझ रखी है!
वह तो बस किराए का
मकान है, दोस्त!!