किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।
इस बेदर्द ज़िन्दगी की बातें सुनानी हैं,
किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।
घर की बेटियों कि लाज बचानी है,
अब अपने बेटों को कुछ शरम सिखानी है
देतें हैं दर्जा मां को सबसे उपर का,
फिर लड़कियों को नीचे दबा, मर्दानगी दिखानी है।
इस बेदर्द ज़िन्दगी की बातें सुनानी हैं,
किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।
दूसरों की बहन को छेडकर, बड़ा मज़ा लेते हैं,
खुद की बहन की बात आते ही, गाली निकालनी है
इस बेदर्द ज़िन्दगी की बातें सुनानी हैं,
किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।
ख़ामोश हो जाती है ज़ुबान उसकी,
किससे कहे अपना दर्द, ये बात भी अनजानी है,
लेकर कंधे पर अपने जिगर के टुकड़े को,
एक बाप कि ये कैसी परेशानी है
इंसानियत का दरवाज़ा बंद कर,
हैवानियत को जो अपनाए,
ना मिले जहन्नुम में भी जगह उसे,
परवरदिगार उसे, ज़िन्दगी भर तड़पाए।
चलता है मुकदमा इसका सालों साल
अरे बच्ची की रूह भी तो तड़पनी है,
ना चैन मिला उसकी ज़िन्दगी लेकर,
इंसाफ़ के लिए बाप को चप्पल दर दर खड़कनी है।
इस बेदर्द ज़िन्दगी की बातें सुनानी हैं,
किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।
यूं तो आंखों में बस्ती थी तस्वीर उसकी,
आज उसकी बड़ी तस्वीर बनवानी है।
रो रही आज उसकी मां क्यूंकि,
उस तस्वीर में फूलों की माला चढ़ानी है,
इस बेदर्द ज़िन्दगी की बातें सुनानी हैं,
किरदार नए, बस कहानी पुरानी है।