‘किया तो था’
अन्तस ने भावों का हौले से श्रंगार किया तो था।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
कल्पनाओं की गठरी सी वो,
सज बैठी थी आँगन में,
मौन ने उसके भीगा-भीगा सा
मनुहार किया तो था।।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
चले जा रहे छोड़ के थे
गाँवों को उसके अंश सभी,
डबडबाये आँसूं ने गिरने से
इंकार किया तो था।।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
उसकी आँखों ने सुख-दुःख का,
तब व्यापार किया तो था।
देशप्रेम को ऊपर रखकर,
ये संसार जिया तो था।।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
जब शहीद सजकर लौटा था,
टूटा बंदनवार तो था।
फफक पड़े थे बच्चे, पत्नी ने
चीत्कार किया तो था।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
अब! सूने घर में रोटी है,
नीँद नहीं पर आँखों में,
पत्थर थे माँ-बाप! हृदय ने
हाहाकार किया तो था।
मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।।
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ