किनारे का पेड़
नदी की लहर कभी
इधर भी आयेगी
इसी इन्तजार मे किनारे का पेड़
सूख गया है ।
पंछियों ने भी और कहीं
आशियाना बना लिया है
उनका सब्र भी आज सवेरे
टूट गया है ।
फलो का नामोनिशान नही
पत्तियां भी अब टूटने लगी हैं
कुछ ही समय मे हरा भरा पेड़
गंज हो गया है ।
चलकर नदी तक जा नही सकता
मजबूर अकेला खड़ा एक ओर
समय के चक्र मे आज
बेजान हो गया है ।।
राज विग 22.06.2019.