किनारा हो जाऊँगी..
बाहर का तम दिल के जितना घना नहीं,
डूबी इसमें तो पार हो ही जाऊँगी ।
तुम नहीं जानते मेरी तड़प किसलिए हैं,
जिंदा हूँ मगर ज़िन्दगी के लिए मर जाऊँगी ।
मेरी ख़ामोशी का सबब तुम्हे मालूम नहीं,
मैं मौन होकर कैसे तेरी धड़कन गुंजाऊंगी ।
तू सलामत रहे, तेरी हिम्मत बनी रहे,
मेरा कोई नहीं किसी दिन आवारा हो जाऊँगी ।
कतरा-कतरा बिखरने की आदत है मेरी,
मैं कश्ती हूँ खुद ही किनारा हो जाऊँगी । ।