* किधर वो गया है *
** गीतिका **
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मुहब्बत भरा पत्र जिस को गया है।
बता दीजिए अब किधर वो गया है।
महकती रही रात भर खूब खिलकर।
खिला पुष्प बेला निखर जो गया है।
अभी है नहीं चांदनी क्यों धरा पर।
बता चांद क्यों रूठ कर खो गया है।
घने मेघ जब छा रहे हैं गगन पर।
किसी छोर पर चांद भी सो गया है।
घनी जुल्फ है आपने जो बिखेरी।
उसी का यही तो असर हो गया है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २६/११/२०२३