कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
कितने सावन बीत गए.. बीत गए कई तीज त्यौहार
ना दिवाली की रौनक देखी ..ना राखी की प्यार…
रूखी बीते तुम बिन .…..कई फागुनबयार
तुम बिन कई चौथे बीती..
बिसरी हंसी, ठिठोली,और मीठी मनुहार…..
दर…. बरस ..सुनी केवल धमाकों की आवाज….
दहशत में दिन बीते…रातें भी आंखों में कटी ..
.नैनो से ना ओझल हो जाओ…
छत ताकती रहती रात भर नैन..
सावन कोरा,भादो सूंना ,जेठ दुपहरी सी लगे नितें दिना,
जाड़े की ठिठुरन से ज्यादा ठिठुराती ..तु.
नित तुमको.. खोने का अंदेशा….
सारे मौसम काट लिए तुम बिन रणवीरे..
कटे ना बसंत बहार ..
अबकी होली आ जाओ तुम…
तुमसे ये..मीठी मनुहार ✍️अश्रु