*कितने रोज*
कितने रोज
तरसे हम
आज बड़े
इंतजार
के बाद
बरसे तुम
तुम भी
किसी के
साजन की
तरह
नखरे
दिखलाते
हो
पहले
तरसाते हो
फिर
बरसते हो
कम से कम
बरसा तो
पूरा करो
आजकल
के साजन
की तरह
तरसता तो
मत छोड़ो
बरसो तो
ऐसा बरसो
शीतल हो
धरती का
हिया
बरसो तो
ऐसा बरसो
शीतल हो
पिया का
जिया
ऐसे मत
तरसाओ
बरसो तो
पूरा बरसो
ना मन तरसे
ना तन तरसे
धरती का हिया
सरसे जब
तुम बरसो
साजन
कम से कम
हिया तो ना
तरसे
बहुत
तरसाते हो
और फिर
अचानक
बरसते हो
ऐसा क्यों
करते हो ।।
?मधुप बैरागी