*कितने बिना इलाज मरे, कितने इलाज ने मारे (हिंदी गजल)*
कितने बिना इलाज मरे, कितने इलाज ने मारे (हिंदी गजल)
_________________________
1)
कितने बिना इलाज मरे, कितने इलाज ने मारे
अस्पताल जाने वाले, पूछ रहे हैं बेचारे
2)
हथिआए हैं पद सारे, लोगों ने चालाकी से
मगर जो साफ-दिल के हैं, वही सबके हुए प्यारे
3)
बुरा व्यवहार जो तुमने, किया क्या भूल जाऊंगा
तुम्हारे शब्द चुभते हैं, अभी तक जैसे अंगारे
4)
कभी लगता है यह नारे, जमाने को बदल देंगे
कभी लगता है झूठे हैं, गगन में गूॅंजते नारे
5)
बहुत सी कोठियॉं-कारें, खजाने भर लिए हमने
जुआरी की तरह लेकिन, सभी कुछ अंत में हारे
6)
जगत का रचयिता ईश्वर, कुशल है चित्रकारी में
गगन में चंद्रमा-सूरज, बनाए खूब क्या तारे
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451