कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही ..
कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही
बदली मौसम की भी जात किसी के जाते ही
गम किस बला का नाम है दर्द का पता ना था
निकली अश्क़ों की बारात किसी के जाते ही
वो सोचा करते थे क्या क्या उनके बारे में
सबके बह निकले ज़ज्बात किसी के जाते ही
आज वक़्त ने ली करवटें पलट गया क्या क्या
वैसे तो नहीं रहे ख्यालात किसी के जाते ही
हमने क्या क्या किया गुनाह कहाँ ग़लती पर थे
खुद से हो गई मुलाक़ात किसी के जाते ही
छोड़ क़दमों के निशान जाने वाला चला गया
सियाह लगे मुझे क़ायनात किसी के जाते ही
कहने को है बहुत कुछ मगर चुप सी लगी है
दब गई शोरो -गुल की बात किसी के जाते ही
—सुरेश सांगवान’सरु’