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27 May 2023 · 1 min read

कितने दिनों बाद

आज वाकई कितने दिनों बाद,
सुकुन भर नींद मिली।
ना ही वो रात चुभी
ना ही कोई बैचेनी हुई
ना ही वो दर्द उठा
और ना ही बेवजह आँखें खुली।
जी चाहा तो करवटें बदल ली
मन हुआ तो अंगड़ाईयाँ भी ले ली,
आज कोई बंदिशें नहीं,
तो सपनों को खुलकर किया।

क्योंकि काली रात की चादर का
एक – एक रौआं आज शांत था
शांत थी वह गहरी रात
किसी बहते साफ जल की तरह,
जिसमें बहती मेरी सभी वेदनाएं, जो पहले परेशान करती थी.
वह शांत थी,
और वैसे ही शांत थी
मेरी हर याद,
और एक तरफ मेरे ख्वाब,
जिन्होंने महसूस तक नहीं होने दिया
कि कब रात थी
और कब सुबह हुई ।

वाकई, कितने दिनों बाद,
सुकुन भए नींद मिली ।

Language: Hindi
152 Views
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