Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2024 · 1 min read

*कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)*

कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)
___________________________
1)
कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं
समय तुम्हारी लंबाई हम, नाप कहॉं पाए हैं
2)
गहरा कुहरा भारी सर्दी, ठिठुर रहा जब तन हो
धूप गुनगुनी किस्मत वाले, जाड़ों की खाए हैं
3)
कुछ प्रश्नों के उत्तर शायद, कभी न मिल पाऍंगे
जीवित खेल-खिलौने प्रभु ने, जग में बनवाए हैं
4)
रोग भरा जो तन के अंदर, बाहर आता पल में
किस्से ऐसे कितने जग में, सब ने गिनवाए हैं
5)
एक-एक कर पृष्ठ कैलेंडर, फटता गया निरंतर
अर्थ सहज आने-जाने के, इसने बतलाए हैं
6)
चाबी जितनी भरी गई थी, नाचा खूब खिलौना
कठपुतली के रंग पुराने, इसको यों भाए हैं
—————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

272 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
Phool gufran
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
Monika Arora
अगर मैं तमाचा जड़ दूं किसी के अहम पर तो हंगामा ही तो होगा।।
अगर मैं तमाचा जड़ दूं किसी के अहम पर तो हंगामा ही तो होगा।।
Ashwini sharma
നീപോയതിൽ-
നീപോയതിൽ-
Heera S
जीवन का सार
जीवन का सार
MUSKAAN YADAV
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
Dr fauzia Naseem shad
*छूकर मुझको प्रभो पतित में, पावनता को भर दो (गीत)*
*छूकर मुझको प्रभो पतित में, पावनता को भर दो (गीत)*
Ravi Prakash
...
...
Ravi Yadav
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
मज़हब नहीं सिखता बैर 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
Kaushal Kishor Bhatt
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
Loved
Loved
Rituraj shivem verma
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
*कवि की शक्ति*
*कवि की शक्ति*
ABHA PANDEY
सलाम मत करना।
सलाम मत करना।
Suraj Mehra
मत ढूढो मुझे दुनिया की तनहाई मे.......
मत ढूढो मुझे दुनिया की तनहाई मे.......
MEENU SHARMA
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
Radheshyam Khatik
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
मुट्ठी में आकाश ले, चल सूरज की ओर।
मुट्ठी में आकाश ले, चल सूरज की ओर।
Suryakant Dwivedi
होश खो देते जो जवानी में
होश खो देते जो जवानी में
Dr Archana Gupta
तुम साधना हो
तुम साधना हो
Pratibha Pandey
जब वो मिलेगा मुझसे
जब वो मिलेगा मुझसे
Vivek saswat Shukla
मजा मुस्कुराने का लेते वही...
मजा मुस्कुराने का लेते वही...
Sunil Suman
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
Dr MusafiR BaithA
शक्ति स्वरूपा
शक्ति स्वरूपा
Uttirna Dhar
"रख हिम्मत"
Dr. Kishan tandon kranti
मोमबत्ती
मोमबत्ती
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*****श्राद्ध कर्म*****
*****श्राद्ध कर्म*****
Kavita Chouhan
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
Loading...