कितनी पी ली पता प्यालों से नहीं चलता है
कितनी पी ली पता प्यालों से नहीं चलता है
काम कोई भी सवालों से नहीं चलता हैं
नींव तो बनती है विश्वास के पत्थर चुनकर।
कोई सम्बंध भी चालों से नहीं चलता है
आज लहराते हैं काले घने सबके सर पर
अब पता उम्र का बालों से नहीं चलता है
ये अँधेरे भी सिखाते हैं सँभलना हमको
ये जहाँ सिर्फ उजालों से नहीं चलता है
‘अर्चना’ बोलना भी होता जरूरी देखो
काम लब पर लगा तालों से नहीं चलता है
17-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद