कितनी तो कोशिश की है।
कितनी तो कोशिश की है उनको हंसाने की पर वह है कि हंसते नहीं है।
हम अपने जज़्बातों से है मजबूर जो उनके बिन पल भर भी ये रहतें नहीं है।।1।।
ऐ महबूब कभी तो बरस जा बनकर सुकून की घटा तू भी हमारे दिल पर।
यूँ बार-बार दिल के अरमानों के पास इतना करीब आकर कुछ कहते नहीं है।।2।।
तुझसे है उसे मोहब्बत कुछ ज्यादा जो तुझको वह कुछ कहती नहीं है।
हो जाएगी फिर माँ नाराज़ यूँ रोज-रोज ऐसे रातों में बाहर कहीं रुकते नहीं है।।3।।
माना कि बड़े ही ज़ख्म है मिले तुम्हारी ज़िन्दगी को इस इश्क ए सफर में।
पीने को मैं मना करता नहीं हूं पर शराब पी करके यूँ सड़को पर बहकते नहीं है।।4।।
हो जाओगे दुनियां में बे वजह बदनाम जो ऐसे जरूरतों को पूरा करोगे।
यूँ बार-बार जरूरत से ज्यादा किसी का हो अहसान यहां इतना लेते नहीं है।।5।।
खुदक़िस्मत हो कि उसने तुमको मौका दिया सवाब करने का जिंदगीं में।
किसी की भी मदद करके फिर उसे यूँ दुनियां में किसी से ऐसे कहते नहीं है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ