कितना यह समां बदल गया
कितना यह समां बदल गया
कितना मैं खुद बदल गया
यह धरती न बदली
न बदला यह आकाश
मेरी सूरत क्या था और आज में
खुद कितना बदल गया !!
नहीं रहेगा यह फिजां का
खजाना हर रोज
जिस का जाना अब कितना
बदल गया
दिल तो लेकर आये थे
बड़ा साफ़ साफ़ हम
इंसान अपने कर्मो से
खुद ही न जाने
कितना बदल गया !!
कौन करेगा साफ़ अब
इस दिल की मैल को
नहीं मिलता है यहाँ
ऐसा इंसान जो धो सके
इस मैल को
जाये तो जाये किस
गुरु की शरण में, म
अब तो वहां पर वो
वहां का ईमान
कितना बदल गया !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ